मैं अकेला बैठ के,
विचार से था खेलता,
मैं अकेला बैठ के,
विचार से था खेलता ;
खेल - खेल में बने,
महल कई,
मकान कई ;
खेल - खेल में नपी,
जगह कई,
जहाँ कई ;
खेल - खेल में ही बस,
मुश्किलों से लड़ गए,
खेल - खेल में ही बस,
मंजिलों पे चढ़ गए ;
खेल में प्रसंग था,
प्रेम का भी रंग था;
मोहबत्तों के तार थे,
इश्क भी हजार थे;
ऊँचे आसमान में, छलांग थी लगी हुई ;
बादलों के पार की, दुनिया जार - जार थी;
गुद - गुदाया कुछ मुझे,
मैं,
हंस पड़ा,
विचार मुझ से कह रहा,
मैं भी,
तुम्ही से खेलता;
विचार मुझ से कह रहा,
मैं भी,
तुम्ही से खेलता !!
धन्यवाद
हरीश
विचार से था खेलता,
मैं अकेला बैठ के,
विचार से था खेलता ;
खेल - खेल में बने,
महल कई,
मकान कई ;
खेल - खेल में नपी,
जगह कई,
जहाँ कई ;
खेल - खेल में ही बस,
मुश्किलों से लड़ गए,
खेल - खेल में ही बस,
मंजिलों पे चढ़ गए ;
खेल में प्रसंग था,
प्रेम का भी रंग था;
मोहबत्तों के तार थे,
इश्क भी हजार थे;
ऊँचे आसमान में, छलांग थी लगी हुई ;
बादलों के पार की, दुनिया जार - जार थी;
गुद - गुदाया कुछ मुझे,
मैं,
हंस पड़ा,
विचार मुझ से कह रहा,
मैं भी,
तुम्ही से खेलता;
विचार मुझ से कह रहा,
मैं भी,
तुम्ही से खेलता !!
धन्यवाद
हरीश