August 4, 2016

वो लहरें भी जाँ खो गयी 



मुलाक़ात चाही थी उनसे,
दुआ में सरकते -सरकते ,
और 
खो  दी  खुदा की खुदाई ,
इबादत में हँसते - हँसते !


मुलाकात हो न सकी पर ,
मोहब्बत जवाँ हो गयी,
ये देखो मेरे दिल की धड़कन,
फिर से धुआं हो गयी !


ना जानू के तुम हो कहाँ ?
पर,
मैं बैठा हूँ चादर लपेटे ,
मेरी प्यास में कुछ कमी है,
या
तुम ही खुदा हो गए !


समय की लहर पे चढ़े हम,
रंगीन सपनो के साथ,
सपने गए तो गए,
वो लहरें भी जाँ खो गयी !


हरीश 
Aug 4, 2013.