January 1, 2015

स्वाद चखुं तेरा  

कुछ कहूँ ?
पर क्या कहूँ ?
करूँ मैं दिल की बात,
या स्वाद चखुं तेरा !!

इन क्षणों को करू बयान,
या सुनता रहूँ चुप-चाप,
 बखान तेरा !!

है दिल में नया सा दर्द ,
ना - ना ,
है दिल में नयी सी चुभन ,
ना  - ना ,
फिर जो भी है ,
बस है , सितम तेरा !! (प्रेमपूर्ण  कटाक्ष )

ये हलकी सी मिटटी,
ये खिले हुए से फूल ,
ये सौंधी सी खुशबु ,

ये ठंडी सी हवा ,
तुम ही हो, ओर  है क्या !!

कुछ कहूँ ,
पर क्या कहूँ ,
कर ही लूँ दिल की बात ,
चखते - चखते, स्वाद तेरा !!

धन्यवाद
हरीश
2  जनवरी 2015