March 22, 2012

प्रेम का बस एक पल

एक पल,
बहकाए जो,

एक पल,
महकाए जो,

एक पल,
जो खुशियाँ लाये,

एक पल,
जो गुदगुदाए,

एक पल की,
तलाश है,

उस एक पल की ही,
आश है !

रंगीन हो, समां यहाँ,
संगीन हो, समां वहां,

आगोश तेरा हो यहाँ,
ये दिल भी डरता हो जवाँ,

उस पल में,
खो ही जाऊं मैं,

उस पल में,
रो ही जाऊं मैं,

खुश आंसुओं से, उन मेरे,
बस बह रहा हो प्यार ही,

उस प्यार के सैलाब में,
खुद को भिगोता जाऊं मैं,

उस एक पल की,
तलाश है,
उस एक पल की ही,
आश है,

है पता ये भी मुझे,
के पल वो होगा,
बेहतरीन,
कुछ बात होगी,
उसमें जो,
होगी बहूत ही,
महीन !

ख़ूबसूरत पल में उस,
इस आत्मा की प्यास को,
हर तरह,
बुझाऊ मैं,
बस खो ही उस में जाऊं मैं,


है मुझे ये भी पता,
के पल न होगा,
वो बड़ा,
न बुझ सकेगी प्यास ही,
न रुक सकेगी तलाश ही,

पर प्रेम का बस एक पल,
जिस के लिए,
ललचाऊं मैं,

सल्तनत का इस तेरी,
छोटा सा हिस्सा ही सही,

है हक मुझे हर आश का,
है हक मुझे तलाश का,
है हक के प्यासा भी रहूँ,
है हक के जी ललचाऊं मैं,


प्रेम का बस एक पल,
हाँ,
प्रेम का बस एक पल,

प्रेम के उस एक पल को,
प्रेम से पी जाऊं मैं !

पी जाऊं मैं,
जी जाऊं मैं !!!

धन्यवाद,
हरीश
२२/०३/२०१२.








March 7, 2012

और हो साथ तुम्हारा


स्वप्निल नगर हो,
लम्बा सफ़र हो,

हो तुम,
और साथ तुम्हारा,
तो और क्या चाहिए !

औंस की बुँदे हों,
तारों-सी पाँव में,

रंग-बिरंगी तितलियाँ,
खेलती हों राहों में,

फूल हों खिले-खिले,
मस्त-जवां चाहो में,


और हो तुम,
साथ हो तुम्हारा,
तो और क्या चाहिए !

मंदिरों की घंटियाँ हों,

प्रेम हो तन-बदन में,
प्रेम हो विशाल-मन में,

साथ में हो तुम,
और हो साथ तुम्हारा,
तो और क्या चाहिए !

हरे - भरे से वृक्ष हों,
हरी भरी सी छाँव भी,

प्रेम का संगीत हो,
चाह की निगाह भी,

वृक्ष भी हो चुप खड़ा,
दिमाग हो अलग पड़ा,

प्रेम की ही बात हो,
प्रेम से ही रात हो,

साथ हो तुम,
और हो साथ तुम्हारा,
तो और क्या चाहिए !

बादलों का गाँव हो,
मोहबत्तों की छाँव हो,


श्रृंगार हो बहार हो,
मस्त सी फुहार हो,


मस्त इस फुहार में,
रंगीन इस बहार में,

आँखे बंद,
हम - तुम,


और हो साथ तुम्हारा,
तो और क्या चाहिए !

धन्यावाद
8-3-2012



March 5, 2012

कुछ लोग हैं ?

कुछ लोग हैं,
हँसते हैं, मुस्कुराते हैं,
कुछ लोग हैं,
गम भी गुनगुनाते हैं,


कुछ लोग हैं,
पा के भी,
ना पा सके जो ?
कुछ लोग हैं,
बिन पाए,
सुब पा जाते हैं !


कुछ लोग चाहते हैं बस,
कुछ लोग मांगते है बस,
जद्दो जहद में दुनिया की इस,
कुछ ही लोग हैं,
जो तेरी रहमतों में आते हैं !


कुछ लोग जिनके दिल में हैं बहार,
कुछ लोग जिनके दिमाग में गुमार,
कुछ लोग बोलते हि नहीं ?
कुछ बिन कहे,
सब कुछ कह जाते हैं !


कुछ लोग हैं,
तसल्ली है वक़्त की जिन्हें,
कुछ लोग,
वक़्त को ही,
तसल्ली दे जाते हैं,

जमाने में इस दुआओं से,
काम चलाते हैं,
कुछ लोग,

कुछ लोग, इस जमाने में,
खुद ही दुआ बन जाते हैं !


कुछ ख़ास है मुझमे,
इस से कोई फर्क नहीं पड़ता,
कुछ लोग,
तमाचा मार के,
औकाद मुझे,
मेरी दिखाते हैं !

कुछ लोग हैं,
जिंदगी बहार हैं जिनकी,
कुछ लोग,
जीते हुए भी मर जाते हैं !

इल्जाम छोटी बात का,
तुझ को क्या दूँ,
ऐ खुदा ?

कुछ लोग छोटी बात में,
खुद को खुदा बताते हैं !!


धन्यावाद
17th Feb 2012