स्वाद चखुं तेरा
कुछ कहूँ ?
पर क्या कहूँ ?
करूँ मैं दिल की बात,
या स्वाद चखुं तेरा !!
इन क्षणों को करू बयान,
या सुनता रहूँ चुप-चाप,
बखान तेरा !!
है दिल में नया सा दर्द ,
ना - ना ,
है दिल में नयी सी चुभन ,
ना - ना ,
फिर जो भी है ,
बस है , सितम तेरा !! (प्रेमपूर्ण कटाक्ष )
ये हलकी सी मिटटी,
ये खिले हुए से फूल ,
ये सौंधी सी खुशबु ,
ये ठंडी सी हवा ,
तुम ही हो, ओर है क्या !!
कुछ कहूँ ,
पर क्या कहूँ ,
कर ही लूँ दिल की बात ,
चखते - चखते, स्वाद तेरा !!
धन्यवाद
हरीश
2 जनवरी 2015
कुछ कहूँ ?
पर क्या कहूँ ?
करूँ मैं दिल की बात,
या स्वाद चखुं तेरा !!
इन क्षणों को करू बयान,
या सुनता रहूँ चुप-चाप,
बखान तेरा !!
है दिल में नया सा दर्द ,
ना - ना ,
है दिल में नयी सी चुभन ,
ना - ना ,
फिर जो भी है ,
बस है , सितम तेरा !! (प्रेमपूर्ण कटाक्ष )
ये हलकी सी मिटटी,
ये खिले हुए से फूल ,
ये सौंधी सी खुशबु ,
ये ठंडी सी हवा ,
तुम ही हो, ओर है क्या !!
कुछ कहूँ ,
पर क्या कहूँ ,
कर ही लूँ दिल की बात ,
चखते - चखते, स्वाद तेरा !!
धन्यवाद
हरीश
2 जनवरी 2015