क्या ढूंढता हूँ,
सच बताऊँ,
है मुझे भी न पता,
क्या सोचता हूँ,
सच बताऊँ,
है मुझे भी न पता,
इन गलियारों से,
विचारों के,
यूँ, तंग - तंग,
जाने क्या मांगता हूँ,
सच बताऊँ,
है मुझे भी न पता,
सब से मिला,
सब से सुनी,
बातें बड़ी - बड़ी,
उन बातों मैं बड़ी - बड़ी,
सत्य है क्या,
सच बताऊँ,
है उन्हें भी न पता,
लगते हैं अच्छे लोग वो,
जो जी रहे धन धान में,
अभिमान करते लोग वो,
जो जी रहे हैं मान में,
तरकश मैं जिनके तीर भौतिक,
छोड़ते हैं शान से,
इस धान मान शान के,
सच मैं हैं मालिक,
सच बताऊँ,
है उन्हें भी न पता,
आधी गयी इस जिंदगी में,
हूँ कहाँ पहुंचा,
अगर मैं सच बताऊँ,
है मुझे भी न पता !!
है मुझे भी न पता !!
अनजान सी इस ख़ोज में,
हैरान सी इस ख़ोज में,
परेशान सी इस खोज में,
कुछ मिलेगा,
या नहीं,
सच बताऊँ,
है मुझे भी न पता,
है मुझे भी न पता !!
है मुझे भी न पता !!
सच बताऊँ,
है मुझे भी न पता,
क्या सोचता हूँ,
सच बताऊँ,
है मुझे भी न पता,
इन गलियारों से,
विचारों के,
यूँ, तंग - तंग,
जाने क्या मांगता हूँ,
सच बताऊँ,
है मुझे भी न पता,
सब से मिला,
सब से सुनी,
बातें बड़ी - बड़ी,
उन बातों मैं बड़ी - बड़ी,
सत्य है क्या,
सच बताऊँ,
है उन्हें भी न पता,
लगते हैं अच्छे लोग वो,
जो जी रहे धन धान में,
अभिमान करते लोग वो,
जो जी रहे हैं मान में,
तरकश मैं जिनके तीर भौतिक,
छोड़ते हैं शान से,
इस धान मान शान के,
सच मैं हैं मालिक,
सच बताऊँ,
है उन्हें भी न पता,
आधी गयी इस जिंदगी में,
हूँ कहाँ पहुंचा,
अगर मैं सच बताऊँ,
है मुझे भी न पता !!
है मुझे भी न पता !!
अनजान सी इस ख़ोज में,
हैरान सी इस ख़ोज में,
परेशान सी इस खोज में,
कुछ मिलेगा,
या नहीं,
सच बताऊँ,
है मुझे भी न पता,
है मुझे भी न पता !!
है मुझे भी न पता !!
~ हरीश
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