बातें, बातें, बातें,
बस बातें !
जीवन में तिमिर हो,
तब बातें
जीवन में शिविर हो,
तब बातें !
फूलों की अनगिनत पंखुड़ियों की,
धीमी धीमी महकती खुशबू की,
रंग की,
रूप की,
बनावट की,
बस बातें, बस बातें !
समझने की,
समझाने की,
हँसते – हँसते,
फिर गुमसुम,
हो जाने की,
बातें, बातें, बातें,
बस बातें !
उमंग जगे, तरंग उठे,
फिर निकलें बातें,
हो बोझिल दिमाग तो,
कर लो फिर से बातें,
दिल मैं हो हलचल तो,
फिर कर लो बातें,
बातें बस बातें !
लोगों से
लोगों की
बातें,
हों कहानियां.
हों रुमानियाँ,
उठे विचार,
या हो बीमार,
हो शौक,
या सम्पन्नता हो आधार,
हों कहीं भी,
बातें ही सहारा हैं,
बातें हैं,
बातों का संसार हमारा है !
गम गलत करें,
ये बातें,
बांटें ख़ुशी भी,
ये बातें,
आदमी को हवा करें,
ये बातें,
हवा भरें आदमी मैं,
ये बातें !
बातों का जीवन है,
बातों का खेल,
बातों ही बातों मैं,
होते हैं मेल,
आनंद को पाना हो,
तो बातें,
अंतर को जगाना हो,
तो बातें,
आदमी को पशु बनाना हो,
तो बातें,
पशु को भगवान् बनाना हो,
तो बातें !
क्या कहें भैया,
बातों का न कोई सार,
इस जग में जीने का,
बातें ही हैं,
बस आधार !!!!!
- हरीश
No comments:
Post a Comment
Thank you for your comments!