January 28, 2012

जो है, सो है !!

जो है,
सो है,
न बदला है कभी,
न बदलेगा,
न रुका है कभी,
न रुकेगा
जो है,
सो है ;

सोचो ,
भागो,
दौड़ लगाओ,
सबसे आगे निकल भी जाओ,
पहुँच के उस रूमानी शहर में,
फिर सोचोगे
जो है,
सो है;

जानता हूँ,
मानता हूँ,
कट जाएगा ये सफ़र भी,
मिल जायेगी मंजिल भी,
फिर कहेंगी हवाएं यें,
फिर कहेंगी फिजायें यें,
जो है,
सो है;

अहम् होगा तुझे कभी,
रहम करोगे तुम कभी,
कभी दिमाग होगा बोझिल,
रोओगे भी तुम कभी,
फिर सोचोगे,
फिर बोलोगे,
जो है,
सो है;

इस दुनिया के दो किनारों,
के बीच में हो तुम खड़े,
पानी बहता जाए
ले जाए
कभी इधर
कभी उधर,
लगे मंजिल मिल गयी,
आँखें खोले,
तो फिर वही;

कहे मन,
अब बस भी कर,
जो है, सो है !!

धन्यवाद
हरीश

११-०९-२०११


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