ये कैसा एहसास है ,
जो मिटता ही नहीं ,
ये कैसी प्यास है ,
जो बुझती ही नहीं !
तमन्नाएं ये कैसी है ,
जो मचल जाती है पल भर में ,
भावनाएं ये कैसी हैं ,
भड़क जाती हैं क्षण भर में !
ये क्षणिक आनन्द ,
न जाने क्यों ?
उठता है बार बार !!
हरीश
29 /09 /2006
शायद ये एहसास ,
ये प्यास ,
ये तमन्नाएं,
ये भावनाएं,
ये आनन्द ,
आधार हैं जीवन का !!
जो मिटता ही नहीं ,
ये कैसी प्यास है ,
जो बुझती ही नहीं !
तमन्नाएं ये कैसी है ,
जो मचल जाती है पल भर में ,
भावनाएं ये कैसी हैं ,
भड़क जाती हैं क्षण भर में !
ये क्षणिक आनन्द ,
न जाने क्यों ?
उठता है बार बार !!
हरीश
29 /09 /2006
शायद ये एहसास ,
ये प्यास ,
ये तमन्नाएं,
ये भावनाएं,
ये आनन्द ,
आधार हैं जीवन का !!
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