March 11, 2018

ये दर्द अब कहर  है  





बदनसीब जिंदगी की ,
सोच बदनसीब है ,
कहाँ मैं जाऊं तुन बता ,
किसे बताऊँ तू बता ?

दुआ मेरी है कर दया ,
कर ख़त्म ये दर्द 
या 
आगोश में अपने बुला !

हो जाए आज ये फैसला ,

ये दर्द अब कहर है ,
बड़ा अजीब दर्द है ,
दुखी मेरा शहर है !

ये साथ भी अजीब है ,
ये लोग भी अजीब है ,
ये सोच भी अजीब है ,
ये रोष भी अजीब है !

अजीब हैं कहानियां ,
अजीब हैं निशानियाँ ,
अजीब जिन्दगानियाँ ,

अजीब सा ये दर्द है ,
कभी ख़ुशी की है झड़ी ,
कभी दुखों की ये लड़ी !

कभी ख़ुशी , कभी है  गम ,
कभी दुखों से ये आँख नाम !!


दुआ मेरी है कर दया ,
कर ख़त्म ये दर्द 
या 
आगोश में अपने बुला !



हरीश 
5 /10 /2008 

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