March 11, 2018

भरे मन से







टपका फिर आँख से आँसूं  एक ,
फिर भावनाओं से खिलवाड़ हुआ !

नया चेहरा जिंदगी का फिर सामने आया ,
भरे मन से,
हमने फिर मन को समझाया !
देख के लोगों के अजीब रंग ढंग ,
मन में फिर आक्रोश का सैलाब उमड़ आया !!

सोचते थे ,
होंगे जिस विचार से निर्विचार ,
उसी विचार ने मन को बहुत तड़पाया !

सलाह, समझ , अनुभव ,
कुछ भी काम न आया ,
जब हुआ सच्चाई से सामना ,
मन खूब रोया, खूब चीखा , चुब चिल्लाया !

तन्हाई ही अच्छी थी ,
रोते  थे खुद ही के लिए ,
आज लोगों ने लोगों के लिए रुलाया !

सच में कड़वी सच्चाई ने ,
जीवन की अपंगता का एहसास करवाया !


जानता हूँ भावुकता ठीक नहीं इतनी ,
पर करूँ क्या ?
भगवान् ने मन को ऐसा ही बनाया !


हरीश 
25 /03/2008 

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