भरे मन से
टपका फिर आँख से आँसूं एक ,
फिर भावनाओं से खिलवाड़ हुआ !
नया चेहरा जिंदगी का फिर सामने आया ,
भरे मन से,
हमने फिर मन को समझाया !
देख के लोगों के अजीब रंग ढंग ,
मन में फिर आक्रोश का सैलाब उमड़ आया !!
सोचते थे ,
होंगे जिस विचार से निर्विचार ,
उसी विचार ने मन को बहुत तड़पाया !
सलाह, समझ , अनुभव ,
कुछ भी काम न आया ,
जब हुआ सच्चाई से सामना ,
मन खूब रोया, खूब चीखा , चुब चिल्लाया !
तन्हाई ही अच्छी थी ,
रोते थे खुद ही के लिए ,
आज लोगों ने लोगों के लिए रुलाया !
सच में कड़वी सच्चाई ने ,
जीवन की अपंगता का एहसास करवाया !
जानता हूँ भावुकता ठीक नहीं इतनी ,
पर करूँ क्या ?
भगवान् ने मन को ऐसा ही बनाया !
हरीश
25 /03/2008
टपका फिर आँख से आँसूं एक ,
फिर भावनाओं से खिलवाड़ हुआ !
नया चेहरा जिंदगी का फिर सामने आया ,
भरे मन से,
हमने फिर मन को समझाया !
देख के लोगों के अजीब रंग ढंग ,
मन में फिर आक्रोश का सैलाब उमड़ आया !!
सोचते थे ,
होंगे जिस विचार से निर्विचार ,
उसी विचार ने मन को बहुत तड़पाया !
सलाह, समझ , अनुभव ,
कुछ भी काम न आया ,
जब हुआ सच्चाई से सामना ,
मन खूब रोया, खूब चीखा , चुब चिल्लाया !
तन्हाई ही अच्छी थी ,
रोते थे खुद ही के लिए ,
आज लोगों ने लोगों के लिए रुलाया !
सच में कड़वी सच्चाई ने ,
जीवन की अपंगता का एहसास करवाया !
जानता हूँ भावुकता ठीक नहीं इतनी ,
पर करूँ क्या ?
भगवान् ने मन को ऐसा ही बनाया !
हरीश
25 /03/2008
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