March 11, 2018

मुरझाया गुलाब का फूल 




बूंदे चाँद पानी की ,
कैसे बचा सकती हैं मुझे !

थोड़ा सा ख्याल तेरा ,
कैसे बचा सकता है मुझे !

कोशिश की मैंने भी ,
की बचाऊँ खुद को मैं ,
पर खुद ही से खुद को ,
कैसे बचा सकता हूँ मैं !

मेरी महक थी वो जिसने ,
हर आँगन को महकाया ,
मुझसे नजर मिला के ,
जीवन का हर चेहरा मुस्काया !

प्रेम भरा लोगों के मन में ,
प्राण भरे मुरझाये तन में !!



हरीश 
September  2009 

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