मुरझाया गुलाब का फूल
बूंदे चाँद पानी की ,
कैसे बचा सकती हैं मुझे !
थोड़ा सा ख्याल तेरा ,
कैसे बचा सकता है मुझे !
कोशिश की मैंने भी ,
की बचाऊँ खुद को मैं ,
पर खुद ही से खुद को ,
कैसे बचा सकता हूँ मैं !
मेरी महक थी वो जिसने ,
हर आँगन को महकाया ,
मुझसे नजर मिला के ,
जीवन का हर चेहरा मुस्काया !
प्रेम भरा लोगों के मन में ,
प्राण भरे मुरझाये तन में !!
हरीश
September 2009
बूंदे चाँद पानी की ,
कैसे बचा सकती हैं मुझे !
थोड़ा सा ख्याल तेरा ,
कैसे बचा सकता है मुझे !
कोशिश की मैंने भी ,
की बचाऊँ खुद को मैं ,
पर खुद ही से खुद को ,
कैसे बचा सकता हूँ मैं !
मेरी महक थी वो जिसने ,
हर आँगन को महकाया ,
मुझसे नजर मिला के ,
जीवन का हर चेहरा मुस्काया !
प्रेम भरा लोगों के मन में ,
प्राण भरे मुरझाये तन में !!
हरीश
September 2009
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