March 11, 2018

सुनता जा 




ये शाम जो खामोश है इतनी  ,

कह रही है ,
इस उलझते हुए मन को ,

उलझनों से बाहर आ  ,
हो जा शांत मेरी तरह ,


भंग न होने दे मानसिकता को ,
विचारों को सुदृढ बना !


हो शान्त ,
सुनाता जा,
देखता जा !



अगस्त 2003 

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