सुनता जा
ये शाम जो खामोश है इतनी ,
कह रही है ,
इस उलझते हुए मन को ,
उलझनों से बाहर आ ,
हो जा शांत मेरी तरह ,
भंग न होने दे मानसिकता को ,
विचारों को सुदृढ बना !
हो शान्त ,
सुनाता जा,
देखता जा !
अगस्त 2003
ये शाम जो खामोश है इतनी ,
कह रही है ,
इस उलझते हुए मन को ,
उलझनों से बाहर आ ,
हो जा शांत मेरी तरह ,
भंग न होने दे मानसिकता को ,
विचारों को सुदृढ बना !
हो शान्त ,
सुनाता जा,
देखता जा !
अगस्त 2003
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