रहने दे आगोश में तेरे ,
वक़्त का तना देकर ,
न जुड़ा कर , आगोश से तेरे !
इन पलों को जीने से रोक न तूं ,
आज ही का वक़्त है,
आगोश में तेरे !
छेड़ने दे जुल्फों की घटाओं को आज ,
की मस्त मौसम ने,
समां बंधा है मस्त !
हरीश
वक़्त का तना देकर ,
न जुड़ा कर , आगोश से तेरे !
इन पलों को जीने से रोक न तूं ,
आज ही का वक़्त है,
आगोश में तेरे !
छेड़ने दे जुल्फों की घटाओं को आज ,
की मस्त मौसम ने,
समां बंधा है मस्त !
हरीश
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