March 11, 2018

रहने दे आगोश में तेरे ,
वक़्त का तना देकर ,
न जुड़ा कर , आगोश से तेरे !

इन पलों को जीने से रोक न तूं ,
आज ही का वक़्त है, 
आगोश में तेरे !

छेड़ने दे जुल्फों की घटाओं को आज ,
की मस्त मौसम ने,  
समां बंधा है मस्त !


हरीश 

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