March 11, 2018

मिल जाए बस वो एक क्षण






तन का प्यासा ,
मन का प्यासा ,
मैं आवारा बंजारा !

जीवन के हर धन का प्यासा ,
मैं आवारा बंजारा !

प्यास मुझे हर एक उस क्षण की ,
जिसमे छुपा हो जीवन ,
प्यास मुझे हर एक उस पल की ,
जिसमे हो जीवन के कुछ क्षण ,

प्यास मुझे उस परम पिता की ,
जिसने रचा ये जीवन ,


प्यास बुझे इस तन, मन , धन की,
प्यास बुझे उस परम धरम की ,


प्यास बुझे मोहक जीवन की ,


मिल जाए बस वो एक क्षण ,
जिसमे छुपा हो जीवन !


हरीश !
30 05/2007 

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