क्या अजीब है , जिंदगी में ,
जब देखो ,
ला कर खड़ा कर देती है ,
दोराहे पर हमे !
हम जब भी दुखी होते हैं , चाहते हैं ढूँढना ,
ख़ुशी को हर चीज में ,
और पता है ,
तब क्या होता है ?
जब हम पाते हैं , अपने आप को ,
उस दोराहे पर , जहाँ दोनों और सिर्फ ख़ुशी दिखती है !
एक थोड़ी पास , जो शायद थोड़ी कम है ,
एक थोड़ी दूर , जो शायद थोड़ी ज्यादा है !
चुनना सच में ,
बहुत कठिन है , उस दोराहे पर खड़े !
जब परेशनी होती है ,
तब ,
कभी लगता है, पास वाली ख़ुशी थोड़ी अच्छी है ,
कभी लगता है ,
दूर वाली ख़ुशी को अपनी बाँहों में भर लूँ !
ज्यादा तो है !
और सच बताऊँ ,
इस दूर पास ,
कम जयादा के चक्कर में ,
जो ख़ुशी सच में ,
हमारे पास होती है ,
उसे हम अपने आप से बहुत दूर कर लेते हैं !
सच में ,
क्या अजीब है , जिंदगी में ,
जब देखो ,
ला कर खड़ा कर देती है ,
दोराहे पर हमे !
जब देखो ,
ला कर खड़ा कर देती है ,
दोराहे पर हमे !
हम जब भी दुखी होते हैं , चाहते हैं ढूँढना ,
ख़ुशी को हर चीज में ,
और पता है ,
तब क्या होता है ?
जब हम पाते हैं , अपने आप को ,
उस दोराहे पर , जहाँ दोनों और सिर्फ ख़ुशी दिखती है !
एक थोड़ी पास , जो शायद थोड़ी कम है ,
एक थोड़ी दूर , जो शायद थोड़ी ज्यादा है !
चुनना सच में ,
बहुत कठिन है , उस दोराहे पर खड़े !
जब परेशनी होती है ,
तब ,
कभी लगता है, पास वाली ख़ुशी थोड़ी अच्छी है ,
कभी लगता है ,
दूर वाली ख़ुशी को अपनी बाँहों में भर लूँ !
ज्यादा तो है !
और सच बताऊँ ,
इस दूर पास ,
कम जयादा के चक्कर में ,
जो ख़ुशी सच में ,
हमारे पास होती है ,
उसे हम अपने आप से बहुत दूर कर लेते हैं !
सच में ,
क्या अजीब है , जिंदगी में ,
जब देखो ,
ला कर खड़ा कर देती है ,
दोराहे पर हमे !
अच्छाई और बुराई का ,
पता होता है हमे ,
क्या अच्छा है और क्या बुरा !
पर
फिर भी ,
मानसिकता पनपती रहती है,
बुरा करने की हमेशा !
बुरी चीज हमेशा आनंद देती है पर वो आनंद क्षणिक होता है !
और अच्छे कामो में आनन्द बहुत कम होता है !
और मिलता है शायद बहुत दिनों बाद ये आनंद ,
कारण शायद यही है , की लोग क्षणिक आनंद में ,
बहुत ख़ुशी महसूस करते हैं!!
हरीश
10/04/2006
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