वो मौसम , सर्द हवाएं वो ,
और गर्मजोशी उसकी बाहों की ,
वाह
क्या दिन थे ,
वक़्त रूकता नहीं था रोकने से भी !
टहलते - टहलते यूँ ही वक़्त गुजर जाता था ,
आज भी ,
छूकर ये हवाएं , ठन्डे पानी को जब ,
सहलाती हैं बालों को मेरे ,
याद उसकी ताजा हो आती है ,
जहन में मेरे !
उसकी मखमली उंगलियां
और
मेरा रोम रोम !!
ये वक़्त बदलता है ,
बदलता है मौसम भी साथ साथ ,
रुत मदमस्त हो जाने पर ,
आती है उनकी याद दिन रात ,
करो बंद आँखें तो ,
दिखता है चेहरा मस्त मोहबत्त का ,
खुली हो आँखें गर ,
हर चेहरे में मोहबत्त दिखती है !
ये मौसम का असर है या
बदल गया है दिल भी
मौसम
के साथ साथ !!
हरीश
और गर्मजोशी उसकी बाहों की ,
वाह
क्या दिन थे ,
वक़्त रूकता नहीं था रोकने से भी !
टहलते - टहलते यूँ ही वक़्त गुजर जाता था ,
आज भी ,
छूकर ये हवाएं , ठन्डे पानी को जब ,
सहलाती हैं बालों को मेरे ,
याद उसकी ताजा हो आती है ,
जहन में मेरे !
उसकी मखमली उंगलियां
और
मेरा रोम रोम !!
ये वक़्त बदलता है ,
बदलता है मौसम भी साथ साथ ,
रुत मदमस्त हो जाने पर ,
आती है उनकी याद दिन रात ,
करो बंद आँखें तो ,
दिखता है चेहरा मस्त मोहबत्त का ,
खुली हो आँखें गर ,
हर चेहरे में मोहबत्त दिखती है !
ये मौसम का असर है या
बदल गया है दिल भी
मौसम
के साथ साथ !!
हरीश
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