March 11, 2018

हर शय में , हर वक़्त ,
ढूंढ़ता था मैं जीवन ,

हर शय  ने हर वक़्त ,
मुझे उलझाए रखा !

तमन्ना ढूंढने की बह गई ,
आँसुंओं के सैलाब में ,
और 
उलझनों ने मुझे ,
यूँ ही दबाये रखा !



हरीश 
30/05/2007 

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