हर शय में , हर वक़्त ,
ढूंढ़ता था मैं जीवन ,
हर शय ने हर वक़्त ,
मुझे उलझाए रखा !
तमन्ना ढूंढने की बह गई ,
आँसुंओं के सैलाब में ,
और
उलझनों ने मुझे ,
यूँ ही दबाये रखा !
हरीश
30/05/2007
ढूंढ़ता था मैं जीवन ,
हर शय ने हर वक़्त ,
मुझे उलझाए रखा !
तमन्ना ढूंढने की बह गई ,
आँसुंओं के सैलाब में ,
और
उलझनों ने मुझे ,
यूँ ही दबाये रखा !
हरीश
30/05/2007
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