March 10, 2018

फिसलता हाथ से

सोचते रहे उम्र भर ,
मकाँ  होगा ,
आशियान  होगा ,

न सोचा था,
देहलीज पर मौत के ,
फिसलता हाथ से ,
ये सारा जहाँ  होगा !


हरीश 
11 /4 /2009 

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