फिसलता हाथ से
सोचते रहे उम्र भर ,
मकाँ होगा ,
आशियान होगा ,
न सोचा था,
देहलीज पर मौत के ,
फिसलता हाथ से ,
ये सारा जहाँ होगा !
हरीश
11 /4 /2009
सोचते रहे उम्र भर ,
मकाँ होगा ,
आशियान होगा ,
न सोचा था,
देहलीज पर मौत के ,
फिसलता हाथ से ,
ये सारा जहाँ होगा !
हरीश
11 /4 /2009
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